उम्मीदें - Fighting For India - poetry on natinalism
हममे कुछ तो है,
हमने माना है
ऐसा कुछ
जिसे हमे पाना है।
रोंगटे खड़ी करती।
गाथाएँ- 'बाई', 'बोस' की,
उम्मीदें बड़ी करती।
ऐसा क्या है-
जिसे पा सकते नहीं ?
बला चाहे जो हो-
हम मिटा सकते नही !
हम युवा-देश हित में लड़ते रहेंगे,
फ़र्ज़ पूरा कर रहे है, करते रहेंगे।
जातीवाद, आतंकवाद,
और नाड़ीहिंसाएँ,
हमारी हिम्मत को-
रोक न पाए ये बालाएं।
हे देश के युवा-धड़कन !
मिन्नति ये करती हुं
जो हुआ या हो रहा है
उसके वास्ते विनती करती हुं ।
अपने दिल की सचाई को
कभी नहीं दबाना
स्वाभिमान को अपने
कभी नही गवाना
जय हिन्द !!
-चंचल साक्षी
26th Jan, 13
Comments
sari kosis hai ki surat badlni chahiye..
mere sine me nhi to tere sine me shi..
ho khi v aag,lekin aag jalni chahiye..
A.KHAN