तारीफ - a hindi poetry



वो शब्द कुछ इस कदर फरमा गए

तारीफ भी जिनसे बेशक शर्मा गए।


कह-कहे ज़माने की खूब सुनी थी मैंने

चन्द अल्फाज़ उनके

हर गम भुला गए।


उनके आँखों के इशारे

मेरी हया चुरा गई

फिर मिलते रहने की

उम्मीद जगा गए।


हर पल ऐसा है

वो नजरो में बसते है

वो अपने जीवन की

मुझे धडकन बना गए।


-साक्षी

30-05-13


 












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