कोई अपना नहीं - A poetry on practical aspect of life

 

 

 

 

 

 

 

 हम भूल जाते है ये सपना नहीं.

वाकई यंहा कोई अपना नहीं.

मै-मै की होड़, 

फैली चहु ओर,

कोई उसके पीछे, 

कोई इसके पीछे ,

हर ओर मची यंही शोर | 

दिल तोरना,

दिल जोरना तो आम बात है. 

एक सा न सबके जज्बात है.

मतलब की दुनिया है,

कुछ कहना नहीं.

वाकई यंहा कोई अपना नहीं.


-चंचल साक्षी



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