मैं रोशनी का दिया हूँ - कविता
मैं रोशनी का दिया हूँ
जगवाले है आंधियाँ
मैं जलती जाऊँ ये बुझाते जाएँ !
मैं प्रेम जगत की पथिक हूँ
जगवाले है साज़िश का गुफ़ा
मैं चलती जाऊँ ये भटकाते जाएँ !
मैं दूर देश की वासी हूँ
जगवाले हैं अनजान शहर
मैं सहमी जाऊँ ये डराते जाएँ !
दिल मेरा मासूम बच्चा है
जगवाले शातिर खिलाड़ी है
मैं हँसती जाऊँ ये रुलाते जाएँ!
एक ओर हूँ मैं
एक ओर है ये
कैसे ये रेखा मिटाई जाएँ ?
-चंचल सिंह 'साक्षी'
22nd Oct, 2014
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