बेफिक्र सी वो बचपन - A Poetry About Childhood Memories
वो अमरुद का पेड़
वो झूले का शोर
मासूम सी बचपन
और पत्तो का ढ़ेर
वो मासूम मुस्कराहट
खेतो की हरियाली
धुप की जगमगाहट
वो मिटटी का घरौंदा
लगाये छोटा पौधा
हम दो चार
सब मिलके यार
खेलते गुली डंडा
वो आम का महीना
वो बड़ी फुलवाड़ी
हम बच्चे फिर रहते कहीं ना
कच्चे आम खाना
बनाते हज़ार बहाना
घर आकर भले ही डांट खाना
बेफिक्र सी वो बचपन
नखरों का नज़राना
भले ही अब न सच हो पाये
आने दो ख़यालो के साये
-चंचल साक्षी
21-02-15
12:57 AM
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