Skip to main content
Search
Search This Blog
द रचयिता
हिंदी साहित्य की e-पत्रिका
Share
Get link
Facebook
Twitter
Pinterest
Email
Other Apps
Labels
Expression
Observation
May 23, 2015
Struggle - Poetry
जिंदगी में कितना कुछ है करने को
फिर भी हम नौकरी करते है
ताकी जीवन संवर जाए
बहुत कुछ है कहने को
फिर भी हम चुप रहते है
ताकी कुछ न बिगड़ जाए
shortcut बहुत है सफल होने को
फिर भी हम long-way जाते है
ताकी बिखर न जाए
-चंचल साक्षी
23/05/15
Comments
Popular Posts
June 19, 2020
चिड़िया
May 10, 2020
कविता: स्त्री और पुरुष
Comments