आम नागरिक होने के फ़ायदे - BENIFITS OF BEING A COMMON PEOPLE
चाहे
किसी नेता की ऐसी तैसी करनी हो या किसी व्यक्ति विशेष की। कभी कभी कुछ लोग
इस फायदे का कुछ ज्यादा ही उपयोग कर लेते हैं। उन्हें लगता है की वो फलां
नेता से ज्यादा बेहतर हो सकते है या फलां व्यक्ति से ज्यादा अच्छा
व्यक्तित्व उनका है। पर सोचने वाली बात ये है की आप इतने ही क़ाबिल और अच्छे
हो तो उनकी जगह आप होते नही?
गीदड़ो की फ़ितरत होती हैं साथ
में हुयां-हुयां करना पर इंसान भी कुछ ऐसे ही बर्ताव करते है। किसी भी
मुद्दे पे वे इसलिए भड़क जाते हैं क्योंकि उनकी समुदाय/जात/बिरादरी को उस
मुद्दे से प्रॉब्लम हैं। एक साथ तोड़ फोड़ और खून खराबे पे आमदा हो जाते है।
भीड़ का हिस्सा बनने से पहले एक बार इंसान होने का परिचय तो दो। अपने दिमाग
का इस्तेमाल तो करो की क्या ये सही हैं ? देश में अभी कई गंभीर मुद्दे है
जिसपे बोलने से पहले उस बात की सही जानकारी होनी बेहद जरुरी है। पर लोग
किसी न किसी तरह इन्फ्लुएंस होकर शोर मचने में लग गए हैं। चाहे कन्हैया का
समर्थन हो या उसका बिरोध। क्या उसका समर्थन करने से देश का भला हो जायेगा?
जिस इंसान को देश की बर्बादी का एक मात्र कारन भाजपा और आरएसएस नज़र आता है।
उसका कोई विचार आतंकवाद जैसे खतरनाक समस्या पे साफ़ नही है। जिसने न्यूज़
चैनल के दिए इंटरव्यू में इस बात का कोई जबाब नही दिया की अफजल गुरु को
फांसी की सजा कोर्ट ने सुनाया था तो हत्यारा भाजपा कैसे हो गया? या वो कई
अफसरों की हत्यारा अफजल गुरु का समर्थन करके वो देश को कैसे आजादी दिलाएगा?
और दूसरी तरफ जो लोग उसके खिलाफ है उनलोगो ने ज्यादा उसे हाईलाइट किया है।
लेकिन इसके बाबजूदभी किसी को कोई हक़ नही की उसे मार पिटाई करे।
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