काश ऑंखें कैमरा होती - Short Story

 

 

 A moment in Local Crowd and beautiful Rain :)


तेज़ धूप के बाद बारिश की बून्द, छम-छम करके गिरती जा रही थी, थोड़ी देर में ऑटो का सफर चौक पे रुक गया।  बारिश के गिरती बूंदों के साथ लोग भी बढ़ते चले जा रहे थे। सामने मेरी नज़र एक लड़की पे गई, उसके सजने के तरीके ने साफ़ जाहिर किया 'newlywed". जब ग्रीन-सिगनल होने के बाद ऑटो चलने लगी तो दुबारा उसी लड़की पे नज़र गई। वो सड़क पार कर बाईं तरफ आ चुकी थी। उसके साथ कोई लड़का भी था। शायद दोनों 'couple' रहे होंगे।

लड़के के हाथ में छतरी और बगल में वो लड़की, ऊपर से बारिश की छम -छम गिरती तेज़ बुँदे जो बढ़ती ही जा रही थी। वो दृश्य इतना परफेक्ट था की मन में ख्याल आया की काश ऑंखें कैमरा होती!



(ये स्टोरी मैंने उसी वक़्त शेयरिंग ऑटो के भीड़ में बैठे हुए मोबाइल में टाइप की थी। इसे मैंने 'ममूरा चौक पे 19 जून 2014 को देखि और लिखी थी)

-चंचल साक्षी

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